ये है दुनिया की पहली लड़की जिसकी वायु प्रदूषण के कारण हुई मौत, अदालत ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

ग्लोबल एयर स्टडी की एक रिपोर्ट की मानें तो दुनियाभर में साल 2019 में साढ़े चार लाख से अधिक नवजातों की मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बच्चे ही वायु प्रदूषण के कारण अपनी जान गंवाते हैं. इसी स्टडी में दावा किया गया कि पूरी दुनिया में 2019 में ही 67 लाख लोगों की मौत का कारण वायु प्रदूषण थी. कुछ महीने पहले आई एक अन्य शोध में दावा किया गया था कि यूरोप में हर 8 में से एक मौत वायु प्रदूषण के कारण ही होती है.
हालांकि, आज से पहले तक विश्व की किसी सरकार ने या फिर किसी कोर्ट ने अधिकारिक तौर पर कभी यह नहीं स्वीकार किया है कि उनके यहां किसी व्यक्ति की मौत वायू प्रदूषण के कारण हुई हो. लेकिन, आज (16 दिसंबर 2020) पहली बार ब्रिटेन की एक अदालत ने अपने फैसले देते हुए कहा है कि सात साल पहले एला कीसी देबराह नामक एक लकड़ी की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई थी.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, लंदन की एक अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि 9 साल की एला की मौत का कारण वायु प्रूदषण था. बता दें, एला दुनिया की पहली इंसान बन गई है जिनकी मौत का अधिकारिक कारण वायु प्रदूषण है. दक्षिण लंदन में साउथवार्क कोरोनर कोर्ट के कोरोनर फिलिप बार्लो ने बुधवार को अपने फैसले में कहा,"मैं निष्कर्ष निकालूंगा कि एला अस्थमा से मर गई और अत्यधिक प्रदूषित वायु के संपर्क में आने के कारण उसे अस्थमा हुआ था." उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण एक "महत्वपूर्ण योगदान कारक" था जिसके कारण उसे अस्थमा को हुआ और यह वायु प्रदूषण गाड़ियों से निकलने वाले धुएं से हुआ था.

बता दें, एला की मौत 2013 में हुई थी. अपनी आखिरी सांसे लेने से पहले तक एला तीन साल कर बीमारी से जूझ रही थीं. एला की मौत कारण 'एक्यूट रेस्पिरेटरी फेलियर' यानी सांस लेने में हुई बेहद तकलीफ बताया गया था. एला की मां को साल 2010 में पता चला था कि उनकी बेटी को कोई स्वास्थ्य समस्या है.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, एला की मां रोसमन्ड ने बताया कि वो अपनी बेटी को किसी स्मारक को दिखाने लेकर गई थी, जहां एला की सांस फूलने लगी. इसके बाद जब एला वापस आई तो उसे खांसी हुई. रोसमन्ड ने बताया कि एला जब उस दौरान खांसती तो उसकी आवाज़ कुछ इस तरह थी जैसे धुम्रपान करने वाले खांसते हैं. इसके कुछ दिनों बाद एला की तबियत काफी खराब हो गई और वो कोमा में चली गई थी. एला करीब तीन साल तक अलग अलग समय पर 30 बार अस्पताल में भर्ती हुई थी और इस दौरान चार बार उनकी बेटी को वेंटिलेटर पर रखा गया था. एला को अस्थमा था. एला की मौत का कारण "हवा में मौजूद कुछ चीज" हो सकती है.
एला की मौत के बाद अस्थमा व वायु प्रदूषण पर ब्रिटेन के प्रमुख विशेषज्ञों में से एक स्टीफन होल्गेट ने रोसमन्ड से संपर्क किया था. इसके बाद उन्होंने सभी आंकड़ों का अध्यन किया और पाया, "वायु प्रदूषण का ग़ैर-क़ानूनी स्तर नहीं होता तो एला की मौत भी नहीं होती." उन्होंने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया कि एला के अस्थमे का सीधा संबंध उसके घर के आस-पास वायु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) की मात्रा अधिक होना था. इसके बाद एला की मां ने संघर्ष किया और ठान लिया था कि वो पता करके रहेंगी कि आखिर हवा में क्या था.
वहीं इस मामले में फैसला आने के बाद एला की मां ने ट्विटर पर लिख,"आज एक ऐतिहासिक मामला था, 7 साल की लड़ाई के परिणामस्वरूप एला के मृत्यु प्रमाणपत्र पर वायु प्रदूषण को मान्यता दी गई है. उम्मीद है कि इसका मतलब होगा कि कई और बच्चों की जान बचाई जा सकती है."
Today was a landmark case, a 7 year fight has resulted in air pollution being recognised on Ella’s death certificate. Hopefully this will mean mean many more children’s lives being saved. Thank you everyone for your continued support. pic.twitter.com/02iNxVgmRd
— The Ella Roberta Family Foundation (@rosamund_ElsFdn) December 16, 2020
यूरोपीय संघ (ईयू) कानूनों के तहत, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की वार्षिक औसत सांद्रता का स्तर 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हवा (बदसूरत / एम 3) से अधिक नहीं हो सकता है, लेकिन ब्रिटेन इस लक्ष्य को कभी हासिल नहीं कर पाया है.
इस फैसले का क्या असर होगा, इसको लेकर लोगों की राय अलग अलग है, लेकिन कई लोग इसे ऐतिहासिक फैसला मान रहे हैं. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में ब्रिटेन समते दुनिया के कई देश इसको लेकर गंभीर होंगे और वायु प्रदूषण को रोकने के लिए गंभीरता से काम करेंगे.
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First published: 16 December 2020, 23:01 IST